अगर आप विज्ञापनों पर भरोसा करके कोई फैसला लेने जा रहे हैं तो जरा ठहरिये। इन विज्ञापनों को गौर से देखिए, इनकी विश्वसनीयता की जांच कीजिए, उसके बाद ही कोई कदम उठाइए। इन दिनों देश में फर्जी और भ्रामक विज्ञापनों की बाढ़ आ गई है, जिसके चक्रव्यूह में तमाम लोग फंसकर अपना कई तरह का नुकसान कर रहे हैं।
सरकार के पास ये पुख्ता जानकारी है कि पिछले साल ऐसे 4416 भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत दर्ज कराई गई है। 2018 में ऐसी 4025 शिकायतें मिली थीं तो 2017 में 3302 शिकायतें दर्ज हुई थीं। जाहिर है ये आंकड़ा बढ़ रहा है और आम आदमी इसके धोखे में आकर अपना बहुत नुकसान करने के अलावा मानसिक तनाव झेल रहा है।
इन विज्ञापनों में आप कुछ भी पा सकते हैं – दुल्हन, नौकरी, मकान-दफ्तर, खाने पीने की चीजें, दवाएं, स्कूल कॉलेजों में दाखिले से लेकर मोटा कर्ज तक। नौकरी देने के नाम पर तो लगातार इतने विज्ञापन युवाओं को भ्रमित करते हैं कि पूछिए मत।
पिछले दिनों रेलवे के नाम से एक फर्जी विज्ञापन जारी कर बेरोजगार युवाओं की भावनाओं से खिलवाड़ किया गया, उन्हें झूठे सपने दिखाए गए और उनसे लाखों रुपए ठगे गए। इससे पहले आईबी, सीबीआई और दूसरे कई विभागों के भ्रामक विज्ञापन जारी हो चुके हैं।
अब सरकार ने लोगों को इन भ्रामक विज्ञापनों के जाल से बचाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए हैं। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इससे बचने के लिए एक नया पोर्टल लांच किया है। पोर्टल का नाम है – गामा। ऐसे किसी भी विज्ञापन की विश्वसनीयता की जांच परख के लिए और शिकायत दर्ज करने के लिए आप इस पोर्टल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
राज्य मंत्री दानवे रावसाहेब दादाराव के मुताबिक लोग अब इस पोर्टल के जरिए शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। मीडिया से जुड़ी ऐसी शिकायतें भारतीय विज्ञापन मानक परिषद नाम का संगठन देखता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत बनाए गए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) भी ऐसे फर्जी और भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और उपभोक्ताओं को जागरूक करने का काम कर रहा है।